निर्ग्रन्थ
निर्ग्रंथ ^२ वि॰ २, निर्धन । गरीब । २. मुर्ख । बेवकूफ । ३. जिसे कोई सहायता देनेवाला न हो । निःसहाय । ४. वस्त्रहीन । ५. नग्न (को॰) । ६. बध करनेवाला (को॰) । ७. जिसे किसी प्रकार का बंधन न हो (को॰) । ८. फलरहित ...
Nirgrantha, Nir-grantha, Nirgramtha: 16 definitions - Wisdom Library
Nirgrantha (निर्ग्रन्थ) refers to one of the “Eight Proponents of Eternalism” (Tibetan: rtag par smra ba brgyad). The complete list runs as ...
निरग्रंथ किसे कहा जाता है? जैन धर्म में इसका क्या महत्व है? - Quora
निर्ग्रंथ का अर्थ है - जिसका चित्त ग्रंथियों से मुक्त है, जिसके मन में गाँठें नहीं हैं। अर्थात जो गाँठों से रहित है, वह निर्ग्रंथ है। गाँठ से अभिप्राय है, राग की गाँठ, द्वेष की गाँठ, मोह की गाँठ, माया की ...
निर्ग्रन्थ - Meaning in English - Shabdkosh.com
The word or phrase निर्ग्रन्थ refers to not tangled. See निर्ग्रन्थ meaning in English, निर्ग्रन्थ definition, translation and meaning of निर्ग्रन्थ in English. Learn and ...
=जिस प्रकार जल में लकड़ी से की गयी रेखा अप्रगट रहती है, इसी प्रकार जिनके कर्मों का उदय अप्रगट हो, और अंतर्मुहूर्त के पश्चात् ही जिन्हें केवलज्ञान व केवलदर्शन प्रगट होने वाला है, वे निर्ग्रंथ कहलाते हैं। ( ...
निर्ग्रन्थ का अर्थ होता है ग्रन्थि रहित! मन में गांठे मत बाँधो और गांठ एक ...
प्रवचन क्रमांक 057 - वर्ष 2017 : सहज स्वाध्याय प्रवचन क्रमांक 203 : निर्ग्रन्थ स्वरूप की भावना : निर्ग्रन्थ का अर्थ होता है ग्रन्थि रहित, ग्रन्थि नहीं है, मन में गांठे मत बाँधो और गांठ एक में ...
तदुक्तंगीतासु । 'यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति । तदा गन्तासि निर्व्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च ॥' इति । “यद्वा, ग्रन्थिरेव ग्रन्थः निवृत्तः क्रोधा- हङ्काररूपो ग्रन्थिर्येषां ते निवृत्तहृदयग्रन्थय इत्यर्थः ।” इति तट्टीकायां स्वामी ॥) ...
किसे कहते हैं "निर्ग्रंथ"? साध्वी वैभव श्री 'विराट' Who is ''Nirgranth ...
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गुरु निर्ग्रन्थ परिग्रह त्यागी
टेक॥ ज्ञान-ध्यान-तप लीन रहावें, ऐसे गुरुवर मोकों भावें । हरष-हरष उनके गुण गाऊँ, साक्षात् दर्शन मैं पाऊँ ॥१॥ उनके चरणों शीश नवाकर, ज्ञानमयी वैराग्य बढ़ाकर । उनके ढिंग ही दीक्षा धारुं, अपना पंचम भाव संभारुँ ॥२॥ सकल प्रपंच रहित ...
निर्ग्रंथ के हिंदी अर्थ | nirgranth meaning in Hindi | हिन्दवी - Hindwi
निर्ग्रंथ का हिंदी अर्थ · बौद्ध क्षपणक, बौद्ध भिक्षु · एक प्राचीन मुनि का नाम · वह व्यक्ति जो किसी धार्मिक ग्रंथ का अनुयायी न हो ...
*निर्ग्रन्थ जिनपथ*. . Join group. About this group. निर्ग्रंथता की भावना अब हो सफल मेरी बीते अहो ...
निर्ग्रन्थ (Nirgranth) meaning in English - Dict.HinKhoj
शब्द का अर्थ नही मिलने के निम्न कारण हो सकते है: शब्द (निर्ग्रन्थ) के अ़क्षरों मे गलती। हिन्दी मे सही तरीके से लिखने के लिये हिंदी कुंजीपटल का प्रयोग करें या हिन्दी मे लिखने के नियम यहाँ देखें ...
जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के अनुयायियों को निर्ग्रंथ कहा गया। निर्ग्रंथ का अर्थ है बन्धन रहित। महावीर को भी निर्ग्रंथ कहा गया।
निर्ग्रन्थ परम्परा में चैतन्य आराधना: Chaitanya Worship in the ...
From Philosophy ( दर्शन ) collection, निर्ग्रन्थ परम्परा में चैतन्य आराधना: Chaitanya Worship in the Nirgranth Tradition (Naneshvani-47) (by Acharya Shri Nanesh)
नमामि निर्ग्रन्थ वितरागी नमामि गुरुदेव सर्वत्यागी आचार्य श्री vc
नमामि निर्ग्रन्थ वितरागी · समाधि संबोधन | निर्यापक श्रमण • मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज · विशेष स्टेटस | राष्ट्रीय विद्वत गोष्ठीव अधिवेशन | निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज | 08 नवम्बर ...
निर्ग्रन्थ भावना || Nirgranth bhavna ||निर्ग्रन्थ की भावना ||बाल. ब्र.रविन्द्र जी आत्मन||Jain bhajan
निर्ग्रन्थ भावना | Nirgranth Bhavna - Path - JinSwara Forum
निर्ग्रन्थता की भावना अब हो सफल मेरी। बीते अहो आराधना में हर घड़ी मेरी करके विराधन तत्त्व का, बहु दु:ख उठाया। आराधना का यह समय, अतिपुण्य से पाया। मिथ्या प्रपंचों में उलझ अब, क्यों करूं देरी ?
निर्ग्रंथों का मार्ग - जैन भजन - JainSamaj.World
निर्ग्रंथों का मार्ग... निर्ग्रंथों का मार्ग हमको प्राणों से भी प्यारा है... दिगम्बर वेश न्यारा है... निर्ग्रंथों का मार्ग....॥ शुद्धात्मा में ही, जब लीन होने को,किसी का मन मचलता है तीन कषायों का,तब राग परिणति ...
बृहद् -निर्ग्रन्थ - स्तुतिमणिमंजूषा - Exotic India Art
बृहद् -निर्ग्रन्थ - स्तुतिमणिमंजूषा - An Anthology of the Hymns of Praise Addressed of the Jinas, Collected from Different Sources.
निर्ग्रन्थ और निर्द्वन्द - मुनि श्री अजित सागर जी - Vidyasagar.Guru
सूर्य का प्रकाश बाह्य जगत को और ज्ञान का आलोक भीतर के अज्ञान अंधकार को दूर करता है। सूर्य की ही तरह ज्ञान-सूर्य भी जब कर्म-प्रेरित अज्ञान के बादलों की ओट में आ जाता है तो उसकी आत्मा, ...